पूरी रात बेटों की लाश लेकर भटकता रहा पिता: इंदौर में दो भाइयों की रहस्यमयी मौत, तीसरा भी भर्ती; जानिए पिता का संघर्ष…

[ad_1]

इंदौर26 मिनट पहलेलेखक: संतोष शितोले

टूट गई मासूमों की तिकड़ी : बायें से युवराज, बीच में नैतिक और फिर शिवांश। नैतिक अभी आईसीयू में है।

इंदौर के नजदीक बाइग्राम में दो बच्चों की मौत ने एक पिता को दर्द में ऐसा झकझोर दिया कि वह बड़े बेटे का शव लिए पूरी रात घूमता रहा। वह बेटे के शव को कभी हिलाता कभी सिर पर हाथ फेरता। कभी नाक के यहां हाथ रखकर सांसें देखता, कभी कान छाती पर रखकर धड़कन सुनने की कोशिश करता रहा…। वह मृत बच्चे का इलाज कराने तीन डॉक्टरों के पास गया।

पिता का दर्द जानने से पहले दैनिक भास्कर की ग्राउंड रिपोर्ट में पढ़िए उन बच्चों को हुआ क्या था-

इंदौर से 40 किमी दूर बाइग्राम (महू) में दो बच्चों की मंगलवार को रहस्यमय मौत हो गई थी। पहले डायरिया फैलने का दावा किया गया। पर अभी स्पष्ट नहीं हुआ है। पिता राहुल गाडगे ने कहा कि उनके तीन बेटे थे। इनमें एक बड़ा बेटा शिवांश पांच साल का था। दो बेटे ढाई साल के युवराज और नैतिक जुड़वां थे। इनमें शिवांश और युवराज की मौत हुई हे। पिता ने कहा कि खाने में दलिया के अलावा कुछ भी नहीं खाया। इसके बाद तीन में से दो बच्चों की सांसें फूलने लगीं। वे तेज-तेज सांसें लेने लगे। उसी दिन गांव के ही एक डॉक्टर को दिखाया। इलाज से कोई फर्क नहीं पड़ा।

सबसे ज्यादा तबीयत शिवांश की खराब थी। पर घर में किसी को नहीं छोड़ सकते थे इसलिए पति-पत्नी शिवांश के साथ युवराज और नैतिक को बड़वाह अस्पताल ले गए। रास्ते में ही शिवांश की मौत हो गई। डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृत अवस्था में ही बड़े बेटे को लेकर वह दूसरे अस्पताल भी पहुंचा। यहां भी डॉक्टरों ने उसे मृत बता दिया।

इसी बीच जुड़वां में से युवराज की तबीयत भी बिगड़ने लगी। देर रात हो चुकी थी तो उन्होंने तय किया कि सुबह युवराज को इंदौर जाकर दिखाएंगे। वे बड़वाह से रवाना हुए तो इंदौर जाते समय रास्ते में उनका गांव बाइग्राम पड़ता है। मां-बाप ने सोचा कि बड़े बेटे की बॉडी को घर ही रख देते हैं। वह गांव में गाड़ी से उतरा और लाश को घर में रख दिया। वापस गाड़ी में बैठा ही था कि उसका मन नहीं माना। वह फिर गाड़ी से उतरा और घर से यह सोचकर वापस बड़े बेटे की बॉडी उठा लाया कि इंदौर तो जा ही रहा हूं, इसे भी वहां एक बार और दिखा लेता हूं।

वह बड़े बेटे के शव को लेकर वापस गाड़ी में बैठ गया। रास्ते में वह बेटे से कभी बात करता तो कभी जिंदा होने की आस से देखता। सोचता अभी ये आंखें टिमटिमा कर उठ जाएगा। पर इंदौर आते-आते उसके एक और बेटे युवराज की मौत हो गई। इसी बीच तीसरे बेटे नैतिक की हालत गंभीर हो गई। उसे इंदौर लाकर चाचा नेहरु अस्पताल में भर्ती किया है। मां उसी के पास है। पिता ने दोनों बेटों का गांव जाकर गांव के लोगों की मदद से अंतिम संस्कार किया।

फोटो में बड़ा बेटा शिवांश और जुड़वां में से छोटा बेटा युवराज। इन दोनों की मौत हो गई। जुड़वा जन्मा एक अन्य बेटा नैतिक इंदौर अस्पताल में भर्ती है।

फोटो में बड़ा बेटा शिवांश और जुड़वां में से छोटा बेटा युवराज। इन दोनों की मौत हो गई। जुड़वा जन्मा एक अन्य बेटा नैतिक इंदौर अस्पताल में भर्ती है।

पोस्टमार्टम किए बगैर किया अंतिम संस्कार, इससे मौत का कारण और उलझा

दोनों मासूमों का पोस्टमॉर्टम नहीं होने से जांच उलझ गई है। इलाज करने वाला झोलाछाप डॉक्टर भी गायब है जबकि स्वास्थ्य विभाग ने दवाइयां जब्त कर दलिया के सैंपल टेस्टिंग के लिए भेजे हैं। इसके साथ ही गांव और आसपास लार्वा के सैंपल भी लिए हैं।

गमगीन गाडगे परिवार।

गमगीन गाडगे परिवार।

जानिए सिलसिलेवार पूरा घटनाक्रम

बकौल राहुल तीन-चार दिनों से बच्चों को सर्दी-खांसी के साथ बुखार था। मंगलवार को गांव के ही डॉ. बीएल सिलवाडिया को दिखाया। रात को बड़े बेटे शिवांश की हालत खराब होने लगी और सांस जोर-जोर से चलने लगी। मैंने डायल 101 को फोन लगाया तो उन्होंने कहा कि थोड़ा समय लगेगा। नहीं आने पर मैं तीनों बच्चों और परिवार को साथ लेकर गाड़ी से बड़वाह ले गया। वहां पहले दादा दरबार अस्पताल ले गया, लेकिन वहां बड़े डॉक्टर नहीं थे। इस पर बड़वाह के ही गुर्जर अस्पताल ले गया तो वहां पर उन्होंने शिवांश का चेकअप किया तो वहां उसे मृत घोषित किया गया।

एक के बाद दूसरे बेटे ने भी तोड़ा दम

राहुल ने कहा, मेरा मन नहीं माना। मैं शिवांश को बड़वाह के सरकारी अस्पताल ले गया, तो वहां भी बताया कि शिवांश की मौत हो चुकी है। इस पर हम उसके शव को लेकर फिर अपने गांव की ओर लौटने लगे। तो रास्ते में दूसरे बेटे युवराज की तबीयत बिगड़ने लगी। उसकी भी सांसें शिवांश जैसी तेज चलने लगी और आंखें बंद होने लगी। इस पर तीनों बच्चों व पत्नी को लेकर इंदौर के चाचा नेहरू अस्पताल इंदौर की ओर रवाना हुआ। वहां डॉक्टरों ने तीनों बच्चों की जांच की तो शिवांश और युवराज को मृत बता दिया।जबकि नैतिक को आईसीयू में एडमिट किया है।

इस झोपड़ीनुमा छोटे से घर में रहता है राहुल और उसका परिवार।

इस झोपड़ीनुमा छोटे से घर में रहता है राहुल और उसका परिवार।

दोनों मासूमों के शव लेकर लौटे पिता

सुबह दोनों मासूम के शव लेकर पिता अपने गांव लौटे, जबकि तीसरे बच्चे नैतिक के पास अस्पताल में उसकी मां किरण है। उसका भी रो-रोकर बुरा हाल है। आधी रात को बच्चों की जान बचाने के लिए दर-दर भटक रहे राहुल अस्पताल की प्रक्रिया से अनजान थे। दोनों बच्चों का पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ और बुधवार को गांव के पास में ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

गरीबी से जूझ रहा परिवार

राहुल एआईसीटीएसएल के बस डिपो में गार्ड है। उन्होंने बताया कि 7 हजार वेतन मिलता है जिसमें से 50 रु रोज किराए के लगते हैं। ऐसे में परिवार काफी आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। बड़ा बेटा शिवांश गांव के ही आंगनवाड़ी स्कूल में जाता था, लेकिन चार-पांच महीने से नहीं जा रहा था। गांव का एक कमरे का कच्चा मकान है जहां बारिश में कई स्थानों पर पानी टपकता है और ज्यादा बारिश होने पर पानी भर जाता है।

भास्कर पड़ताल ….पानी खराब होता तो अन्य लोगों पर भी असर होता

इस टंकी से गांव में होता है पानी सप्लाय।

इस टंकी से गांव में होता है पानी सप्लाय।

दो हजार आबादी वाले इस गांव में एक ही पानी की टंकी है, जहां से बोरिंग का पानी सप्लाई होता है। इससे डेढ़ साल पहले पानी सप्लाई शुरू हुआ। अभी तीन-चार दिन से टंकी से पानी की सप्लाई नहीं हो रही है। टंकी की सफाई नहीं होती। सरपंच पति लवलेश मीणा ने बताया कि बच्चों की मौत कैसे हुई यह समझ से परे है। अगर पानी खराब या गंदा होता तो राहुल के परिवार के अन्य लोगों व गांव वालों पर भी इसका असर होता।

क्लिनिक बंद कर डॉक्टर गायब, बोर्ड छिपा दिया

यह है डॉ. बीएल सिलवाडिया का क्लीनिक व मकान जो बंद है।

यह है डॉ. बीएल सिलवाडिया का क्लीनिक व मकान जो बंद है।

उधर, बच्चों का इलाज करने वाला गांव का डॉ. बीएल सिलवाडिया मंगलवार से ही क्लिनिक बंद कर गायब हो गया। क्लीनिक का बोर्ड भी मकान के पीछे मिला। आसपास के लोगों ने बताया कि डॉ. सिलवाडिया दतोदा का रहने वाला है। वह पांच साल से यहां इलाज कर रहा था। उसके बोर्ड पर CHV की डिग्री का उल्लेख है। 20 सालों से यहां स्वास्थ्य विभाग की सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं। झोलाछाप डॉक्टरों का यहां जमावड़ा है।

मकान के पीछे मिला डॉक्टर का बोर्ड।

मकान के पीछे मिला डॉक्टर का बोर्ड।

आखिरी बार दलिया खाया था बच्चों ने
दादी बीना बाई ने बताया कि बच्चे अकसर दलिया खाते थे। मंगलवार को भी तीनों बच्चों और मैंने खुद ने दूध के साथ दलिया खाया था। बच्चे मेरे पास ही खेलते-सोते थे। राहुल ने बताया कि दलिया आठ दिन पहले पास की दुकान से लाए थे और अक्सर वहीं से लाते हैं और सभी खाते हैं। अगर दलिया में कुछ होता तो परिवार के अन्य लोगों की भी हालत बिगड़ती। मामले में दलिया का सैंपल भी लिया गया है।

परिवार को पानी, दलिया और डॉक्टर पर संशय नहीं

खास बात यह कि परिवार को पानी, दलिया और डॉक्टर के इलाज तीनों को लेकर कोई संशय नहीं है। दूसरी ओर वाकई यह परिवार इतनी आर्थिक तंगी में जूझ रहा है कि उनके पास खाने के लिए पैसे नहीं होते। ऐसे में संभव है कि जब बच्चे तीन-चार दिन से बीमार थे तो तंगी के कारण उसने डॉक्टर को नहीं दिखाया और उनकी हालत बिगड़ती गई।

लार्वा व दलिया के सैंपल लिए, दवाइयां जब्त, जांच होगी

गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बाइग्राम और आस-पास के गांव में लार्वा सर्वे किया। बीएमओ डॉ. फैजल अली ने बताया कि सर्वे में कुछ जगहों पर लार्वा मिला था, जिसे नष्ट किया गया। इसके साथ ही एक टीम सैंपल के लिए गई थी। लेकिन एक भी केस नहीं मिला। बच्चों का इलाज करने वाला डॉक्टर फरार है। क्लीनिक के साथ ही दतोदा में उसके घर पर ताला लगा हुआ है। सीएमएचओ डॉ. बीएस सैत्या ने बताया कि अभी तक नैतिक की ब्लड व अन्य रिपोर्ट नहीं आई है।

एक और बीमार बच्चा मिला

उधर, गुरुवार को बाइग्राम के पास ग्राम गांजिदा में 9 वर्षीय ललित भी बीमार मिला है। उसे दो दिन से उल्टी-दस्त के साथ बुखार आ रहा है। उसे चाचा नेहरु अस्पताल इंदौर रैफर किया गया है। इसी गांव में डेंगू का भी एक मरीज मिला है।

मंत्री उषा ठाकुर ने दिया 20-20 हजार रुपए का आश्वासन

गुरुवार को बलाई समाज के मनोज परमार व अन्य समाजजन परिवार से मिले। परमार ने बताया कि मंत्री उषा ठाकुर इन दिनों बाहर हैं। उन्हें मामले से अवगत कराया तो उन्होंने 20-20 हजार रुपए देने की घोषणा की है।

सदमे में पिता व दादी की तबियत भी बिगड़ी
गाडवे परिवार में दो मासूम बच्चों की मौत के बाद उसके पिता राहुल व दादी बीना बाई की भी शुक्रवार को तबीयत बिगड़ गई। नजदीकी रिश्तेदारों ने बताया कि घटना के बाद से ही दोनों काफी सदमे में है। दादी को घबराहट के कारण व राहुल को भी सिरदर्द के चलते रिश्तेदार उन्हें महू के अस्पताल दिखाने ले गए हैं। उधर, तीसरे बच्चे नैतिक चाचा नेहरू अस्पताल में एडमिट है। सुपरिटेंडेंट डॉ. प्रीति मालपानी ने बताया कि नैतिक को जब लाया गया तो उसे फीवर था तथा और किसी तरह की तकलीफ नहीं थी। उसकी सारी जांचें कराई गई जो नॉर्मल हैं। अब उसकी हालत ठीक है तथा भोजन भी कर रहा है। दो दिन बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। डॉ. मालपानी ने बताया कि परिवार ने बताया था कि बच्चों को तीन-चार दिनों से लूज मोशन व उल्टियां हो रही थी। संभवत: इसी कारण दोनों बच्चों की हालत बिगड़ी और समय पर इलाज नहीं मिलने से उनकी मौत हुई।

खबरें और भी हैं…
[ad_2]
Source link

Related Articles

Back to top button