राजगढ़ के 3 स्कूलों में हुए सेमिनार: वन अधिकारियों ने बच्चों को दी वाइल्ड लाइफ की जानकारी, जानिए चीता ईको सिस्टम के क्यों है जरूरी

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राजगढ़ (भोपाल)एक घंटा पहले
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राजगढ़ के वन अधिकारियों ने राजगढ़, ब्यावरा और नरसिंहगढ़ में स्कूली बच्चों को कुनो अभ्यारण्य में छोड़े गए चीते क्यों जरूरी थे एवं वाइल्ड लाइफ में चीतों की अहमियत के साथ ही ईको सिस्टम में चीता क्यों जरूरी है यह जानकारी दी गई। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर कुनो वन अभ्यारण्य में छोड़े गए चीतों के बाद बच्चों की उत्सुकता को देखते हुए आज वन विभाग राजगढ़ द्वारा जिले के विभिन्न स्कूलों में चीता प्रोजेक्ट के बारे में स्कूली विद्यार्थियों को प्रोजेक्ट संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी बताई गई।
बच्चों को बताया गया कि किस तरह चीता भारत से विलुप्त हुआ, चीता को किस तरह इंडिया में रिइंट्रोड्यूस किया जा रहा है, कुनो नेशनल पार्क का चयन ही क्यों किया,चीता का प्राकृतिक संतुलन में क्या महत्वपूर्ण योगदान है। चीता की बेसिक जानकारी के साथ ही तेंदुआ और टाइगर, शेर और चीता में क्या अंतर है इत्यादि जानकारी दी गई।उत्कृष्ट विद्यालय नरसिंहगढ़ में SDOF राठौर सहित, केंद्रीय विद्यालय राजगढ़ में वन परिक्षेत्र अधिकारी गौरव गुप्ता और वन परिक्षेत्र अधिकारी अभिषेक कटारे द्वारा सेमिनार आयोजित कर जानकारी दी गयी । प्रोग्रेसिव हाइट्स ब्यावरा में स्कूल संस्थापक योगेश एरन द्वारा जानकारी दी गयी।

ईकोसिस्टम के लिए सबसे जरूरी है चीता
रेंजर गौरव गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि हमारे परिस्थितिकी तंत्र के लिए चीता बेहद जरूरी है। चीता खाद्य श्रृंखला का सबसे शीर्ष जीव है। उसके न होने से पूरी खाद्य श्रृंखला पर असर दिखता है। भारत में चीता, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, तमिलनाडु में पाए जाते थे। एक समय ऐसा आया जब धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती गई और भारत की जमीन से खत्म हो गए। नतीजा ये हुआ कि चीते के एरिया के भू-क्षेत्र प्रभावित होने लगे। वहां का पूरा ईकोसिस्टम खत्म हो गया। इन इलाकों से कई शाकाहारी जीवों का अस्तित्व खत्म हो गया। घास के मैदान नष्ट हो गए। पर्यावरण प्रभावित होता रहा।
100 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ सकता है चीता
- चीता अपनी रफ्तार के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यह 120-130 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है।
- जंगली चीतों में फीमेल की उम्र 14-15 साल तक होती है। जबकि मेल चीता की उम्र 10-12 साल होती है।
- फीमेल चीता एक बार में 2-5 शावकों जन्म दे सकती है।
- एक समय में भारत में चीतों की संख्या 10 हजार तक थी।
- शिकार और दूसरे जानवरों के शिकार के लिए इस्तेमाल किए जाने से उनकी संख्या में तेजी से गिरावट आई।
- माना जाता है कि छत्तीसगढ़ के कोरिया के महाराजा ने 1947 में देश में आखिरी तीन चीतों को मार डाला था। इसके बाद ही भारत सरकार ने 1952 में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया था।
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