अष्टमी पर हुई काल भैरव की पूजा: भैरव मंदिरों पर कालभैरव का हुआ अभिषेक, किया विशेष श्रृंगार

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ग्वालियर7 घंटे पहले
ग्वालियर में काल भैरव अष्टमी पर बुधवार को शहर के प्रमुख भैरव मंदिरों पर भगवान का अभिषेक और सोने-चांदी के वर्क से विशेष शृंगार किया गया। बता दें कि कोरोना संक्रमण पूर्ण तरीके से खत्म हो गया है। इसलिए इस साल भैरव अष्टमी का आयोजन बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। साथ ही सभी प्रमुख मंदिरों पर भंडारे का आयोजन भी किए जा रहे हैं। दिन भर भैरव मंदिरों पर भक्तों की भीड़ लगी रही।
118 वर्ष पुराना है आशापूर्ण भैरव मंदिर
सराफा बाजार, बच्छराज का बाड़ा स्थित 118 वर्ष से भी अधिक प्राचीन भैरव मंदिर पर सुबह 10 बजे से मंत्रोच्चार के साथ भगवान भैरवनाथ का पंचामृत से महाभिषेक हुआ। इसके बाद सुबह 11.30 बजे से शास्त्रोक्त विधि से हवन हुआ। मंदिर के व्यवस्थापक पारसमल पारख एवं संजीव पारख ने बताया कि यह मंदिर शहर का ही नहीं वरन प्रदेश व देश का एकमात्र ऐसा भैरव मंदिर है जहाँ पर भैरव जी की तीन प्रतिमा (त्रिमूर्ति) स्थापित हैं।
त्रिमूर्ति में यह है भैरव
मध्य में प्रतिमा बीकानेर, राजस्थान के तोलियासर जी के भैरव जी की है। दाएं में राजस्थान के ही कोडमदेसर जी (जिला बिकानेर) के भैरव जी की एवं बाएं में अलाय (जिला नागौर) के भैरवनाथ की प्रतिमा है। भैरव जन्म महोत्सव के अवसर पर भैरव जी की प्रतिमा को स्वर्ण एवं चांदी के वर्कों से सजाया गया है।
चांदी के मुकुट से सजे भैरव
चांदी के भव्य मुकुट व सोने एवं चांदी के छत्र भी चढ़ाए गए हैं।। भैरव मंदिर की प्राचीनता के बारे में श्री पारख ने बताया कि मंदिर का निर्माण 118 वर्ष पहले हुआ था। भगवान भैरव अपने भक्तजनों के कष्टों को दूर कर उनकी आशा पूरी करते हैं, इसलिये इन्हें आशापूर्ण भैरव के नाम से भी जाना जाता है।
बटुक भैरव मंदिर में पूजा के लिए उज्जैन से आए हैं आचार्य
सराफा बाजार में स्थित बटुक भैरव मंदिर पर भी सुबह से रात तक विभिन्न आयोजन किए गए हैं। मंदिर के व्यवस्थापक संदीप मित्तल के अनुसार काल भैरव अष्टमी पर विशेष पूजा के लिए उज्जैन के आचार्य पं. अनिल तिवारी के साथ छह ब्राह्मणों का दल आया है।
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