डॉ. गौर को भारत रत्न की मांग का मामला: 2001 में पहली बार उठी थी मांग, मदनमोहन मालवीय को मिलने के बाद से तेज हुई, सागर से दिल्ली तक हुए प्रदर्शन

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सागरएक घंटा पहले

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सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक दानवीर डॉ. हरीसिंह गौर को भारत रत्न देने की मांग लगातार जोर पकड़ रही है। - Dainik Bhaskar

सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक दानवीर डॉ. हरीसिंह गौर को भारत रत्न देने की मांग लगातार जोर पकड़ रही है।

सागर विश्वविद्यालय के संस्थापक दानवीर डॉ. हरीसिंह गौर को भारत रत्न देने की मांग लगातार जोर पकड़ रही है। बीते 7 साल से यह मांग लगातार की जा रही है। इस बार डॉ. गौर की जयंती पर ही पहली बार सागर गौरव दिवस भी मनाया जा रहा है। इस उपलक्ष्य में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों की तैयारियों के बीच यह मांग लगातार हर जुबान से आ रही है कि डाॅ. गौर को भारत रत्न जल्द से जल्द मिले। इसके लिए कोई ठोस कदम उठाया जाना चाहिए। डॉ. गौर को भारत रत्न दिए जाने की मांग सबसे पहले वर्ष-2001 में उठी थी। तब केंद्रीय विवि के दर्जे की मांग के समय यह मांग भी उठाई गई थी। हालांकि उसके बाद इस पर ज्यादा चर्चा नहीं हुई।

वर्ष-2009 में सागर विवि को केंद्रीय दर्जा मिलने के बाद यह मांग लगातार उठाई जाने लगी कि डॉ. गौर को भारत रत्न मिले। वर्ष-2014 में जब बीएचयू के संस्थापक मदनमोहन मालवीय को भारत रत्न देने की घोषणा की, उसके बाद डॉ. गौर को भारत रत्न देने की मांग ने जोर पकड़ लिया। वर्ष-2015 में उन्हें रत्न दिए जाने के बाद सागर के लोगों ने दिल्ली में जंतर-मंतर पर धरना दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिले और उन्हें ज्ञापन दिया। इसके बाद लगातार धरना-प्रदर्शन चलते रहे। हालांकि अभी तक यह मांग पूरी नहीं हो सकी।

सर्वदलीय नागरिक संघर्ष मोर्चा के संरक्षक रघु ठाकुर बताते हैं सबसे पहले 2001 में डॉ. गौर को भारत रत्न दिलाने की मांग उठी। 2014 में भारत सरकार ने भारत रत्न के लिए बड़ा बदलाव करते हुए शिक्षा का क्षेत्र जोड़ा। मदनमोहन मालवीयजी को भारत रत्न दिया। उन्होंने दान मांगकर बीएचयू की स्थापना की थी, जबकि डॉ. गौर ने सर्वस्व अर्पण कर। उन्होंने न सिर्फ शिक्षा बल्कि विधि, राजनीति के क्षेत्र में अनेक बड़े बदलाव किए। ऐसे में डॉ. गौर भारत रत्न के लिए सच्चे हकदार हैं।

भारत रत्न के लिए हुए प्रयासों में इस तरह चली अब तक की संघर्ष यात्रा
2001 में सर्वदलीय नागरिक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले केंद्रीय विवि की मांग को लेकर चल रहे प्रदर्शन के दौरान पहली बार डॉ. गौर को भारत रत्न देने की मांग उठी।

2010 में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ज्ञापन दिया गया। सागर में धरना हुआ।

2011 से 2014 के बीच विभिन्न छात्र संगठनों, राजनीतिक दलों द्वारा ज्ञापन, पोस्ट कार्ड अभियान के माध्यम से डॉ. गौर को भारत रत्न दिलाने की मांग की जाती रही। गौर यूथ फोरम ने डॉ. गौर को भारत रत्न सहित दो सूत्रीय मांगों को लेकर पूरे बुंदेलखंड में अभियान के माध्यम से 1 लाख लोगों के हस्ताक्षर कराकर ज्ञापन सौंपा। इसमें मंत्री, विधायक, सांसद सहित तमाम जनप्रतिनिधि भी जुड़े।

2013 में सागर बंद हुआ। इसमें विवि में 50 फीसदी आरक्षण के साथ ही डॉ. गौर को भारत रत्न की मांग प्रमुखता से उठी।

2015 में जंतर-मंतर दिल्ली पर धरना देकर डॉ. गौर को भारत रत्न देने की मांग उठी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन गृहमंत्री राजनाथ सिंह को भी ज्ञापन दिया। राजनाथ सिंह ने मांग को उचित बताते हुए इसे पूरा करने का आश्वासन दिया।

2016 में विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रो. आरपी तिवारी ने भारत रत्न कमेटी बनाई। जिसका काम डॉ. गौर के जीवन से जुड़े छुए-अनछुए पहलुओं को जुटाना है। इसने कई अहम तथ्य जुटाए भी हैं। इसका उद्देश्य है सभी दस्तावेज तैयार करने के बाद डॉ. गौर को भारत रत्न के लिए प्रस्ताव बनाकर भारत सरकार को भेजा जाए।

2017 में विवि के ही छात्र सुनील राजपूत ने 8 दिन तक भूख हड़ताल की। तमाम जनप्रतिनिधि से लेकर कुलपति एवं शहरवासी इसमें पहुंचे। सभी ने अपने-अपने पत्र बनाकर भारत सरकार को भेजे भी।

2018 में विधानसभा में विधायक शैलेंद्र जैन ने अशासकीय संकल्प रखा कि डॉ. गौर को भारत रत्न दिए जाने के लिए प्रदेश सरकार प्रस्ताव पास कर भारत सरकार को भेजे। हालांकि यह पास नहीं हो सका था।

2019 में दिल्ली में भी ज्ञापन दिए गए। गौर युवा मंच ने पोस्ट कार्ड अभियान के माध्यम से 1 हजार कार्ड राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री कार्यालय में भेजे।

2020 और 2021 में कोरोना संक्रमण के चलते इस मांग को लेकर व्यापक आंदोलन या प्रदर्शन नहीं हुए लेकिन इसकी मांग लगातार उठती रही।

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