बैतूल के गांव में 4 दिन से अंधेरा पसरा: ट्रांसफार्मर बंद होने से बिजली गुल, जिम्मदार अधिकारी नहीं उठा रहे फोन

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बैतूल25 मिनट पहले
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ग्रामीण इलाकों में बिजली विभाग की कार्यप्रणाली से ग्रामीण परेशान हैं। जिला मुख्यालय से सटे दनोरा गांव में बीते 4 दिनों से बिजली नहीं है। जिससे यहां ब्लैकआउट की स्थिति निर्मित हो गई है। जिम्मेदार विभाग के अधिकारी ग्रामीणों की समस्या को नहीं समझ रहे हैं। ट्रांसफार्मर खराब होने के चलते लगभग डेढ़ सौ की आबादी वाला यह गांव अंधेरे में जीवन यापन करने को मजबूर हो गया है। नल जल योजना बाधित हो गई है, वहीं विद्यार्थियों को पढ़ाई करने में काफी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। लेकिन बिजली विभाग के अधिकारियों द्वारा अब तक सुधार कार्य नहीं किया गया है। विभाग की उदासीनता के चलते ग्रामीणों में रोष व्याप्त हो गया है।
जेई सुन रहे न जिले के अधिकारी
ग्रामीण राजेश सरले, कैलाश सरले, नंदकिशोर ने बताया कि गांव में 4 दिनों ब्लैकआउट की स्थिति है। गांव में बिजली नहीं है इसको लेकर किसी भी जिम्मेदार को कोई सरोकार नहीं है। शिकायत करने पर जेई ग्रामीणों का फोन भी नहीं उठाते। ग्रामीण अंधेरे में अपनी रातें गुजार रहे हैं। ग्रामीणों और किसानों को परेशान होना पड़ रहा है। बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित है। इस गंभीर समस्या पर जिले के जिम्मेदार अधिकारी भी ध्यान नहीं दे रहे। ग्रामीणों का आरोप है कि विद्युत की समस्या को लेकर जेई को फोन लगाने पर उनके द्वारा फोन रिसीव नहीं किया जा रहा है।
ग्रामीणों द्वारा जब इस बात की शिकायत क्षेत्र के जनपद पंचायत सदस्य अकलेश वाघमारे से की गई तो उन्होंने भी मौके से खेड़ी जेई को फोन लगाया, लेकिन जेई द्वारा जनपद सदस्य का भी फोन नहीं उठाया गया। इसके अलावा विधायक प्रतिनिधि पुष्पपाल रावत, उपसरपंच प्रमोद गाडगे, सरपंच अनिता चौहान के द्वारा भी खेड़ी जेई को फोन किया गया, लेकिन जेई ने कॉल रिसीव नहीं किया।
जनप्रतिनिधि की भी नहीं सुनते विद्युत विभाग के अधिकारी
जनपद पंचायत सदस्य अकलेश वाघमारे ने बताया कि अधिकारियों का रवैया बहुत ही उदासीन है। लगभग 3 दिनों से जेई को फोन लगाया जा रहा है लेकिन वे समस्या दूर करना तो दूर फोन तक रिसीव नहीं कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जब अधिकारी जनप्रतिनिधियों की सुनवाई नहीं कर रहे तो आम जनता का क्या हाल होगा। दनोरा के आधा सैकड़ा लोग बिजली की समस्या से जूझ रहे हैं लेकिन बिजली विभाग के अधिकारियों को शायद ग्रामीणों की समस्या से कोई लेना-देना नहीं है।
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