अमेरिका में पढ़ेगी MP की अनाथ बेटी: विदेशी को गोद देकर ‘मां’ रोते हुए बोली- बेटी परदेसी हो गई; गुड़िया ने कहा- डॉक्टर बनकर लौटूंगी

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गुना12 मिनट पहलेलेखक: आशीष रघुवंशी

मध्यप्रदेश के गुना जिले में मां स्वरूप आश्रम है। ये आश्रम ऐसे बच्चों का सहारा है, जिनके माता-पिता इस दुनिया में नहीं रहे। यहां रहने वाली एक 9 साल की बिटिया को दो दिन पहले अमेरिकन महिला ने गोद लिया है। इस बिटिया को 3 साल तक अपनी ममता की छांव में रखने वाली यूं तो आया हैं, लेकिन इस बच्ची के लिए यही दूसरी मां हैं। नाम है- गायत्री। अब बिटिया अपनी नई अमेरिकन मां के साथ चली गई है और कहने को परदेसी हो चुकी है, लेकिन गायत्री के पास इस बिटिया की यादों का खजाना है। उसे बेटी के अमेरिका जाने की खुशी तो है, लेकिन उससे जुदा होने का दर्द भी है।

पढ़िए, मां के दिल का हाल उसी की जुबानी…

करीब 20 साल हुए, जब आश्रम बना था। तब से मैं यहां हूं। इस बीच कई बच्चे आए और चले गए। ऐसा नहीं कि उनसे कोई लगाव नहीं रहा। सबको खूब दुलार किया, लेकिन 3 बरस पहले एक 6 साल की गुड़िया आई। उसके माता-पिता दुनिया छोड़ गए थे। जब आश्रम आई, तब एकदम गुमसुम रहती थी। कुछ दिन तक तो ऐसी ही रही। रहती भी क्यों न, नया माहौल था। नए लोग थे। बच्चों को वैसे भी नए माहौल में ढलने में थोड़ा समय तो लग ही जाता है। कुछ दिन में थोड़ा खुश रहना भी सीख गई। दिनभर मेरे साथ ही समय बिताती थी। फिर हंसती, खिलखिलाती और हर चीज बड़ी मासूमियत से करती थी। जिद भी करने लगी थी। बच्चे जिद्दी होते भी हैं। कभी कुछ मांगती तो हम भी कह देते अभी नहीं देंगे या मना कर देते, तो वो रूठ जाती।

रूठना तो उसे बहुत आने लगा था। अपनी नाराजगी दिखाने एक कोने में जाकर बैठ जाती। उसे मनाना ही पड़ता था। काफी देर में मानती थी। गुस्सा छूमंतर होते ही खिलखिलाने लगती। मुझे ये अच्छा लगता था कि वो बिल्कुल मां की तरह मुझ पर हक जताने लगी और रूठने लगी। फिर ये रूठना-मनाना हम मां-बेटी का जैसे खेल हो गया। इस खेल में कब 3 बरस गुजर गए, पता ही नहीं चला।

एक महीने पहले पता चला एक अमेरिकन महिला गुड़िया को गोद लेना चाहती हैं। वो नॉर्थ केरोलिना से हैं। बिटिया का जीवन संवरने का ख्याल आते ही मैं खुशी से फूली नहीं समाई, लेकिन अगले ही पल मेरा कलेजा धक से रह गया। बिटिया चली जाएगी तो मैं कैसे रहूंगी। एक महीने कागजी प्रक्रिया चली। इस बीच दिल को कठोर किया और उसे भी जाने को राजी किया। पिछले साल भी इसी आश्रम की एक 8 साल की बच्ची को अमेरिका के ही एक दंपती ने गोद लिया था। दोनों अब पड़ोसी बनेंगी। वैसे तो इस आश्रम में अभी 7बच्चे हैं, लेकिन गुड़िया के जाने से आश्रम सूना पड़ गया है।

गायत्री ने गुड़िया के लिए ब्रेसलेट और माला खरीदी, लेकिन गुड़िया के जाने की प्रक्रिया के बीच उसे दे नहीं सकीं।

गायत्री ने गुड़िया के लिए ब्रेसलेट और माला खरीदी, लेकिन गुड़िया के जाने की प्रक्रिया के बीच उसे दे नहीं सकीं।

सजने-संवरने का शौक है, मुझसे मेहंदी लगवाई…

श्रृंगार का शौक भी काफी है। एक दिन कहने लगी कि मम्मी मेहंदी लगा दो। मैं बाजार से मेहंदी लेकर आई और उसे लगा दी। उस दिन बहुत खुश हुई थी। सभी बच्चों को दिखाई। नेल-पॉलिश तो हमेशा लगाती रहती थी। उसके लिए ब्रेसलेट और माला लेकर आई थी कि उसे दूंगी तो बहुत खुश होगी। बहुत सुंदर लगेगा उस पर। पहनकर सबको दिखाती फिरेगी, लेकिन कल इतना जल्दी सब कुछ हुआ कि दे ही नहीं पाई। अब यह ब्रेसलेट और माला उसकी याद के रूप में संभाल कर रखूंगी।

होटल का खाना नहीं खाया, मेरे हाथ का बना मांगा…

अमेरिका जाने से एक दिन पहले बोली- मां कल मटर-पनीर की सब्जी बना लेना। तुम्हारे हाथ का बना मटर-पनीर खाकर ही दूसरे देश जाऊंगी। वह अक्सर खाने की फरमाइश करती थी। 20 सितंबर को उसे जाना था। सुबह मटर-पनीर बनाया। पुलाव बनाया। सुबह 10 बजे ही लोग उसे लेने आ गए। गुड़िया और उसकी होने वाली मां का तिलक किया। फिर सभी कलेक्टर कार्यालय चले गए। वहां से गुड़िया सीधे होटल चली गई। उसके लिए बनाया गया मटर-पनीर ऐसे ही रखा रहा। होटल से फोन आया कि बिटिया खाना मांग रही है। उन्होंने बताया कि बिटिया ने होटल का खाना नहीं खाया। बोली- मम्मी ने मटर-पनीर बनाया है। वही खाऊंगी। बड़े प्यार से मटर-पनीर, पूरी, पुलाव, सलाद पैक करके होटल भेजा। मेरे हाथ का खाना उसे बहुत पसंद है।

मुझे भी अमेरिका ले जाना चाहती थी…

एक दिन कहने लगी मम्मी कद्दू की सब्जी बना दो। बनाकर दी तो पूरी सब्जी खत्म कर दी। खाने के बाद खिलखिलाकर बोली- देखो मम्मी पूरी सब्जी खत्म कर दी। उसे पकौड़ी, कढ़ी, चीले, हलवा, नमकीन पूरी खाने का बहुत शौक है। यही सब उसकी पसंद हैं। कल कहने लगी आप भी चलो अमेरिका। वहां मुझे अच्छा-अच्छा खाना बनाकर खिलाना। मैंने कहा- हम नहीं जा सकते। आपका ही पास (वीजा) बना है। जाने से कुछ देर पहले बोली- मम्मी मुझे नहीं जाना। शायद मन नहीं कर रहा होगा। लेकिन, फिर मैंने समझाया कि वहां तुम्हारा भविष्य सुधार जाएगा। नए कपड़े मिलेंगे, स्कूल जाओगी, पढ़-लिखकर कुछ बन जाओगी, तो फिर मान गई। थोड़ी भावुक भी हो गई थी जाते-जाते…।

जाते-जाते बोली, मम्मी डॉक्टर बनकर वापस आऊंगी…

एक और बात जो उसकी सबसे अच्छी है कि वह काफी समझदार है। एक बार जो बात बता दो, वह उसे हमेशा याद रहती है। डेढ़ महीने पहले ही स्कूल जाना शुरू किया था। यहीं पास में ही मानस भवन के सामने वाले स्कूल जाती थी। दूसरी क्लास में चली गई थी। हादसों से गुजरे बच्चे जल्दी समझदार हो जाते हैं। मैनेजर के जाने के बाद कौन आश्रम में आया, क्या देकर गया, सब याद रखती थी। सुबह जैसे ही मैनेजर आते, उन्हें सारी जानकारी दे देती थी। कई बार हम कुछ बताना भूल जाएं, लेकिन उसे सब याद रहता है। कल जाते-जाते बोली- मम्मी मैं डॉक्टर बनकर वापस आऊंगी। सबसे पहले आपका ही इलाज करूंगी।

(यह सब आश्रम की आया गायत्री बाई ने बच्ची के साथ बिताए हुए पल याद करते हुए भास्कर को बताया।)

6 साल की उम्र में हो गई थी अकेली

गुड़िया की उम्र 9 साल है। वह 2019 से जिला अस्पताल परिसर स्थित मां स्वरूपा आश्रम में रह रही थी। जब वह ढाई साल की थी, तभी उसके पिता की मौत हो गई थी। 2019 में बीमारी की वजह से मां का साया भी उठ गया। लंबी बीमारी के बाद उसकी मां की मौत हो गई थी। तभी से वह आश्रम में रह रही थी। बच्ची सभी से घुल-मिल गई थी और बहुत अच्छे से आश्रम में रहती थी।

कलेक्टर ने गिफ्ट देकर बच्ची को विदा किया

गुना की यह गुड़िया अब सात समंदर पार रहेगी। दत्तक ग्रहण के तहत USA की एक महिला ने बच्ची को गोद लिया है। मंगलवार को जिला अस्पताल स्थित आश्रम में उसे अमेरिका से लेने आई महिला को सौंपा गया। कोर्ट के आदेश और प्रक्रिया पूरी होने के बाद उन्होंने बच्ची को गोद लिया। इस दौरान कलेक्टर भी मौजूद रहे। उन्होंने बच्ची को गिफ्ट देकर विदा किया। बच्ची दिल्ली होते हुए अमेरिका पहुंचेगी।

कलेक्ट्रेट में बच्ची को आशीर्वाद देते कलेक्टर और अधिकारी।

कलेक्ट्रेट में बच्ची को आशीर्वाद देते कलेक्टर और अधिकारी।

दो साल चली गोद लेने की प्रक्रिया

बच्ची को गोद लेने की प्रक्रिया पिछले दो साल से चल रही थी। अंतरराष्ट्रीय कारा संगठन से अप्रूवल मिलने के बाद फैमिली कोर्ट में केस आया। फैमिली कोर्ट से आदेश होने के बाद एक दिन पहले ही अमेरिका की महिला तमिका शिया और संगठन से एक महिला गुना पहुंची। मंगलवार को महिला को बच्ची सौंप दी गई। तमिका के पति की मौत हो चुकी है। वह फार्मेसी कंपनी में टेक्नीशियन के पद पर पदस्थ हैं।

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