मिशन 2023 के लिए भाजपा की नई रणनीति: MP भाजपा अध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं को दिया नया टास्क

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भोपाल/ झाबुआ8 घंटे पहले
अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का पूरा फोकस आदिवासियों पर है। भाजपा अब सोशल मीडिया से जुड़े आदिवासियों को पार्टी से जोड़ना चाहती है। इसके लिए भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने निर्देश दिए हैं।
शर्मा ने कार्यकर्ताओं से कहा कि जनजातीय वर्ग के शिक्षित और सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने वाले युवाओं को पार्टी से जोड़ें। साथ ही आदिवासी बहुल गांवों में सरकार द्वारा जनजातीय वर्ग के लिए चलाई जा रहीं योजनाओं के प्रचार-प्रसार के लिए भी टीम तैयार की जाए।
शनिवार काे झाबुआ में भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, बीजेपी एसटी मोर्चे के प्रदेश अध्यक्ष कल सिंह भाबर भी मौजूद रहे। बैठक में आदिवासी अंचलों में भाजपा की जीत को लेकर विशेष रणनीति बनाई गई।
47 सीटें आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित
साल 2018 के चुनाव में आदिवासी क्षेत्रों की सीटें हारने की वजह से BJP को सत्ता गंवानी पड़ी थी। प्रदेश में करीब 47 विधानसभाएं आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। प्रदेश की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जनजाति की संख्या 21.1 प्रतिशत है। 2018 में कांग्रेस ने इनमें से 30 सीटें जीती थीं। भाजपा की संख्या घटकर 16 हो गई थी, जबकि 2013 के चुनाव में भाजपा के पास 31 सीटें थीं।
यही कारण है कि सत्ता और संगठन ने आदिवासी वर्ग के बीच पैठ बढ़ाने के लिए कई गतिविधियां शुरू की हैं। छिंदवाड़ा, झाबुआ, डिंडोरी में सभी सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। इसके अलावा मंडला, बालाघाट, बैतूल, खरगोन, बड़वानी, धार, अनूपपुर में आधी से ज्यादा विधानसभाओं में कांग्रेस के विधायक हैं। इन जिलों को लेकर बीजेपी विशेष रणनीति बना रही है।
एसटी मोर्चे की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में आदिवासी वर्ग की उपजातियों के मुख्य लोगों को बीजेपी से जोड़ने को लेकर भी चर्चा हुई है। बीजेपी को प्रदेश के आदिवासी बहुल 16 जिलों में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। इन जिलों की एसटी वर्ग के लिए आरक्षित सीटों को लेकर विशेष रणनीति बन रही है।

अजजा मोर्चे की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक झाबुआ में चल रही है। इसमें अंचल के पदाधिकारी और कार्यकर्ता हिस्सा ले रहे हैं।
ट्रायबल बेल्ट में सोशल मीडिया की सक्रियता भी बड़ी चुनौती
झाबुआ में चल रही बैठक में इस बात पर मंथन हुआ है कि आदिवासी वर्ग के युवाओं की सक्रियता सोशल मीडिया पर बढ़ी है। जयस के साथ जुड़ रहे नौजवानों को लेकर भी चिंता जताई गई है। आदिवासी जिलों में लगातार हो रहे बड़े आंदोलनों के कारण बढ़ रहे असंतोष पर भी मंथन हुआ है।
बैठक में तय हुआ है कि पढ़े-लिखे शिक्षित युवाओं को केन्द्र और राज्य सरकार की रोजगार और स्वरोजगार वाली योजनाओं से लाभान्वित कराने के लिए पार्टी स्तर पर एसटी मोर्चा अभियान चलाएगा। इन्हीं शिक्षित युवाओं को भाजपा सरकार की योजनाओं के प्रति आदिवासी वर्ग में जागरुकता बढ़ाने को लेकर चर्चा हुई है।
जानिए, आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित विधानसभाओं में भाजपा-कांग्रेस की जिलेवार स्थिति
इन जिलों की आरक्षित सीटों पर बीजेपी का एक भी विधायक नहीं- डिंडोरी, झाबुआ और छिंदवाड़ा
डिंडोरी– जिले की दोनों विधानसभाएं ST वर्ग के लिए आरक्षित हैं। शहपुरा और डिंडोरी दोनों विधानसभाओं में कांग्रेस के विधायक हैं।
छिंदवाड़ा जिले की सातों विधानसभाओं (जुन्नारदेव (ST), अमरवाड़ा (ST), चौरई, सौंसर, छिंदवाड़ा, परासिया, पांढुर्ना (ST) में कांग्रेस के विधायक हैं।
ऐसे ही कुछ हाल झाबुआ जिले में हैं। एसटी वर्ग के लिए आरक्षित झाबुआ जिले की दोनों विधानसभाओं झाबुआ और पेटलावद में कांग्रेस का कब्जा है।
धार में भी भाजपा की हालत खराब है। यहां 7 में से 5 सीटें एसटी वर्ग के लिए आरक्षित हैं। यहां सरदारपुरा, गंधवानी, कुक्षी, मनावर, धरमपुरी में कांग्रेस के विधायक हैं, जबकि धार और बदनावर में भाजपा के विधायक हैं।

प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा ने संबोधित किया। उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं को चुनाव की तैयारियों की जुटने के लिए कहा।
इन 7 जिलों में सभी विधायक बीजेपी के
- खंडवा- मांधाता, हरसूद (ST), खंडवा, पंधाना चारों सीटों पर बीजेपी के विधायक हैं।
- हरदा- जिले की दोनों सीटों पर भाजपा का कब्जा है। एसटी के लिए आरक्षित टिमरनी और हरदा में बीजेपी के विधायक हैं।
- सिंगरौली- जिले में तीनों विधायक भाजपा के हैं। एसटी के लिए आरक्षित चितरंगी के अलावा सिंगरौली, देवसर में भाजपा के विधायक हैं।
- शहडोल– एसटी वर्ग के लिए आरक्षित तीनों विधानसभाओं ब्योहारी, जयसिंह नगर, शहडोल में भाजपा के विधायक हैं।
- उमरिया- एसटी वर्ग के लिए जिले की दोनों विधानसभाएं आरक्षित हैं। मानपुर और बांधवगढ़ दोनों विधानसभाओं में भाजपा के विधायक हैं।
- मंडला- तीनों ST वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इनमें बिछिया, निवास में कांग्रेस और मंडला में भाजपा का कब्जा है।
- सीधी – जिले की एकमात्र धौंहनी विधानसभा एसटी वर्ग के लिए आरक्षित है। धौंहनी में भाजपा के कुंवर सिंह टेकाम विधायक हैं।

झाबुआ में भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक आयोजित की जा रही है। इसमें भाजपा कार्यकर्ता और पदाधिकारी मौजूद हैं।
आदिवासी बहुल इन जिलों में मुकाबला
प्रदेश के 10 जिले ऐसे हैं, जिनमें बीजेपी की हालत खराब है।
- बालाघाट जिले की छह में से तीन विधानसभाओं बैहर, लांजी, कटंगी में कांग्रेस विधायक हैं। जबकि परसवाड़ा और बालाघाट में बीजेपी के विधायक हैं, जबकि बारासिवनी में निर्दलीय प्रदीप जायसवाल विधायक हैं।
- सिवनी जिले की चार विधानसभाएं हैं। इनमें बरघाट, लखनादौन में कांग्रेस और सिवनी, केवलारी में भाजपा के विधायक हैं।
- बैतूल जिले की पांच से से चार विधानसभाओं मुलताई, बैतूल, घोडाडोंगरी, भैंसदेही में कांग्रेस का कब्जा है वहीं आमला में बीजेपी के एकमात्र विधायक हैं।
- देवास जिले की 5 में से चार विधानसभाओं देवास, हाटपिपल्या, खातेगांव, बागली(ST) पर बीजेपी का कब्जा है। वहीं, एकमात्र सोनकच्छ सीट कांग्रेस के पास है।
- बुरहानपुर जिले की नेपानगर (ST) सीट बीजेपी के पास है जबकि बुरहानपुर में निर्दलीय विधायक हैं।
- खरगोन जिले की छह में से पांच विधानसभाओं भीकनगांव (ST), बड़वाह, महेश्वर, कसरावद, खरगोन में कांग्रेस के विधायक हैं जबकि भगवानपुरा (ST) में निर्दलीय का कब्जा है।
- बड़वानी जिले की चारों विधानसभाएं अनूसूचित जनजाति (ST) वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इनमें से सेंधवा, राजपुर, पानसेमल में कांग्रेस का कब्जा है वहीं बड़वानी में बीजेपी के प्रेम सिंह पटेल विधायक हैं।
- अलीराजपुर जिले की दोनों विधानसभाएं अजजा (ST)वर्ग के लिए आरक्षित हैं। इनमें से अलीराजपुर में कांग्रेस के मुकेश रावत और जोबट में बीजेपी की सुलोचना रावत विधायक हैं। रतलाम जिले में एसटी के लिए आरक्षित रतलाम ग्रामीण के अलावा जावरा, आलोट और रतलाम सिटी में बीजेपी के विधायक हैं। जबकि सैलाना में कांग्रेस का कब्जा है।
- अनूपपुर जिले की तीन में दो विधानसभाओं कोतमा,पुष्पराजगढ़ में कांग्रेस और अनूपपुर में भाजपा का कब्जा है। इनमें पुष्पराजगढ़ और अनूपपुर एसटी के लिए आरक्षित हैं।
- कटनी जिले की चार विधानसभाओं में से बड़वारा एसटी के लिए आरक्षित है। कटनी जिले की बड़वारा सीट पर कांग्रेस का कब्जा है वहीं विजयराघवगढ़, मुड़वारा, बहोरीबंद में बीजेपी का कब्जा है।
- जबलपुर जिले में कुल 8 विधानसभाएं हैं। एसटी वर्ग के लिए आरक्षित सिहोरा के अलावा पनागर, जबलपुर कैंट और पाटन में बीजेपी के विधायक हैं। वहीं, जबलपुर पूर्व, जबलपुर उत्तर, जबलपुर पश्चिम में कांग्रेस के विधायक हैं।
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