अखिल भारतीय मुशायरा: खादमी ने कहा- चला के आंधियां किसे डराना चाहता था तू, मेरी झोपड़ी गई तो तेरा भी महल गया

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देवासएक घंटा पहले

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मुशायरे में कलाम पेश करते शायर। - Dainik Bhaskar

मुशायरे में कलाम पेश करते शायर।

मल्हार स्मृति मंदिर में साेमवार रात काे अखिल भारतीय मुशायरा हुआ, जिसमें शायराें ने अपनी छाप छोड़ी। रात 10 बजे से शुरू हुआ मुशायरा अलसुबह 6 बजे तक सतत चलता रहा। अतिथि विक्रमसिंह पवार ने कहा देवास की गंगा-जमनी तहजीब अपने आपमें एक मिसाल है। मेरे एक कांधे पर भगवान श्रीकृष्ण की पालकी रहती है तो उसी कांधे से मोहर्रम में ताजिया भी उठाता हूं। यह विरासत मुझे मेरे पूर्वजों से मिली है।

मुशायरा मे मुंबई के प्रसिद्ध फिल्म गीतकार शायर शकील आजमी ने कहा, आसमानों से जमीनों को मिलाने वाले झूठे होते हैं ये तकदीर बताने वाले, अब तो मरजाता है रिश्ता ही बुरे वक्तों पर, पहले मरजाते थे रिश्तों को निभाने वाले, बुरहानपुर से आए शायर नईम अख्तर खादमी ने कहा तरक्कियों की दौड़ में उसीका जोर चल गया, बनाके जो अपना रास्ता भीड़ से निकल गया, चला के आंधियां किसे डराना चाहता था तु, जो मेरी झोपड़ी गई तो तेरा भी महल गया। देवबंद से आए शायर डॉ. नदीम शाद ने कहा मुश्किल कोई आन पड़ी तो घबराने से क्या होगा, जीने की तरकीब निकालों मरजानें से क्या होगा, सब मिलकर आवाज उठाओ तो कुछ चांद पर रोब पड़े, मैं तन्हा जुगनू हूं मेरे चिल्लाने से क्या होगा।

इनके अलावा अना देहल्वी दिल्ली, महशर आफरीदी रूडकी, असरार चंदेरवी चंदेरी, एजाज अंसारी दिल्ली, सुरेन्द्रसिंह शजर दिल्ली, आदील रशीद दिल्ली, नासिर फराज उडीसा, सरवर कमाल झांसी, जावेद आसी यूपी, वसीम झिंझवानी यूपी आदि ने भी अपने-अपने कलाम पेश किए। मुशायरा की अध्यक्षता शायर महेन्द्रसिंह अश्क ने की। संचालन शायर अबरार काशिफ ने की। अतिथियों का स्वागत मुशायरा समिति अध्यक्ष मुस्तफा अंसार एहमद ने किया। संचालन शायर इस्माइल नजर ने किया। श्रोताओं में सभापति रवि जैन, महापौर प्रतिनिधि दुर्गेश अग्रवाल, पूर्व सभापति अंसार एहमद हाथी वाले, विजय पंडित, काजी नोमान एहमद अशरफी उपस्थित थे।

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