गवाह के खिलाफ कार्रवाई: हत्या के मामले में चश्मदीद होने के बावजूद मुकरा, कोर्ट ने कार्रवाई के दिए आदेश

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बैतूलएक घंटा पहले
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हत्या के एक मामले में गवाही से मुकर जाने पर भैसदेही की अदालत ने गवाह को झूठी गवाही देने के आरोप में पुलिस को आदेश दिए है की वह गवाह के खिलाफ दांडिक प्रकरण प्रस्तुत करें। कोर्ट ने उसके सामने विचारण के दौरान अपनी पहली गवाही से मुकरने, झूठा शपथ पत्र देने के आरोप में गवाह गोलू कुबड़े पर कार्रवाई की है। अभियोजन साक्षी गोलू कुबड़े (35) अभियोजन का गवाह था। 35 उस के विरुद्ध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 195, 340 के अंतर्गत दांडिक कार्रवाई करते हुए दांडिक परिवाद प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।
यह था मामला
थाना भैसदेही के अपराध क्रमांक 31/2019 धारा 302, 341, 147, 148, 149, 201, 506 IPC की विवेचना के दौरान यह पाया गया था कि 13 दिसंबर 20 की शाम करीब 6 बजे गवाह गोलू कुबड़े और मृतक विनोद के साथ मोटर साईकिल से काटोल से वापस आ रहा था। तभी काटोल जोड़ के आगे दो मोटर साईकिल पर आरोपी संतोष, मनीष, शुभम, राजू और राजा पीछे से आए और पांचो ने गवाह गोलू कुबड़े और मृतक विनोद के साथ लात घूसों तथा लकड़ी से मारपीट की।
मृतक विनोद के सिर में लाठी से मारपीट कर उसकी हत्या कर दी गई। विवेचना के दौरान साक्षी गोलू के धारा 161 सीआरपीसी के कथन लिए गए। जिनमे इस साक्षी ने घटना के समय घटना स्थल पर उपस्थित होने और आरोपियों द्वारा मृतक विनोद की हत्या करने की बात पुलिस को बताई थी। पुलिस ने इस साक्षी के न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी भैसदेही के समक्ष धारा 164 सीआरपीसी के कथन कराए। तब गवाह ने न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी भैसदेही के न्यायालय में भी घटना के समय उसकी मौजूदगी में होना और मृतक विनोद की हत्या करने की बात बताई थी। प्रकरण का विचारण अपर सत्र न्यायालय भैसदेही जिला बैतूल द्वारा किया गया।
प्रकरण के विचारण के दौरान दिनांक 28 सितम्बर 21 को अभियोजन द्वारा साक्षी गोलू कुबड़े के बयान अपर सत्र न्यायालय भैसदेही के समक्ष कराए गए। तो यह साक्षी पुलिस को दिए गए धारा 161 सीआरपीसी के अपने कथनों एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी भैसदेही के न्यायालय में दिए गए धारा 164. सीआरपीसी के कथनों से मुकर गया और न्यायालय में कथन किए कि उसे घटना के सम्बन्ध में कोई जानकारी नहीं है। मृतक विनोद की मृत्यु कैसे हुयी उसे नहीं मालूम। साक्षी गोलू कुबड़े पक्षविरोधी हो जाने से सहायक जिला अभियोजन अधिकारी , भैसदेही द्वारा प्रकरण में इस साक्षी के विरुद्ध धारा 340,344 द.प्र.सं के अंतर्गत कार्रवाई करने के लिए माननीय न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत किया गया और आवेदन के पक्ष में तर्क प्रस्तुत किये कि समाज में न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग किए जाने और बार बार बयान बदलने की प्रवृति को रोकने के लिए ऐसे लोगों पर कार्यवाही किया जाना समाज एवं न्याय व्यवस्था के हित में आवश्यक है।
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