बागेश्वर धाम वाले सरकार की कहानी: सत्यनारायण कथा कहते थे, फिर दरबार लगाने लगे; 2 साल में लंदन तक पहुंच गए

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भोपालएक घंटा पहले

26 साल के कथावाचक धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का विदेश तक में नाम है। धीरेंद्र से ज्यादा उनकी पहचान बागेश्वर धाम के रूप में है। छतरपुर जिले के गढ़ा निवासी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री कभी गांव में सत्यनारायण की कथा सुनाते थे। गांव में हनुमानजी का मंदिर है। इसे बालाजी और बागेश्वर धाम नाम से जाना जाता है। इसी मंदिर में देवकी नंदन ठाकुर को रामकथा के लिए बुलाया जाता था। फिर धीरेंद्र खुद रामकथा के साथ ‘दिव्य दरबार’ लगाने लगे।

दो साल पहले सोशल मीडिया से शुरू हुआ उनके प्रसिद्धि का सफर 7 समंदर पार तक पहुंच गया। 14 जून 2022 को लंदन की संसद में उन्हें सम्मानित किया गया था। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की चर्चा इस कारण है कि उनके ‘दिव्य दरबार’ में अर्जी लगाने वालों की भीड़ लगती है। इसी भीड़ के चलते भिंड में मंगलवार शाम को मची भगदड़ में एक महिला की मौत हुई है और चार लोग गंभीर घायल हैं।

आखिर धीरेंद्र शास्त्री कौन हैं? इतनी कम उम्र में उन्होंने कैसे इतनी प्रसिद्धि पाई? पढ़िए धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बागेश्वर ‘सरकार’ बनने की कहानी…

कभी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पास अपनी बहन की शादी के लिए पर्याप्त रुपए नहीं थे। उन्होंने अपने मुस्लिम दोस्त की मदद ली थी। आज जब उनके पास सब है, तो वे गरीब और जरूरतमंद लोगों की बेटियों की शादी कराते हैं। बाकी जानकारी नीचे पढ़ें...

कभी धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के पास अपनी बहन की शादी के लिए पर्याप्त रुपए नहीं थे। उन्होंने अपने मुस्लिम दोस्त की मदद ली थी। आज जब उनके पास सब है, तो वे गरीब और जरूरतमंद लोगों की बेटियों की शादी कराते हैं। बाकी जानकारी नीचे पढ़ें…

वृंदावन जाने के लिए नहीं जुट पाए थे पैसे
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म 4 जुलाई 1996 में हुआ। पिता रामकृपाल गर्ग और मां सरोज गर्ग की 3 संतानों में धीरेंद्र सबसे बड़े हैं। उनसे छोटा एक भाई और एक बहन है। बहन की शादी हो चुकी है। बहन की शादी का रोचक किस्सा वह अपनी कथा में भी सुनाते रहते हैं। खुद धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के मुताबिक तब उनकी आर्थिक हालत खराब थी। बहन की शादी के लिए अपने मुस्लिम मित्र शेख मुबारक से 20 हजार रुपए उधार लेकर उन्होंने बारातियों की मेजबानी की थी। उनके पिता रामकृपाल गर्ग गांव में सत्यनारायण की कथा सुनाते थे।

12वीं तक पढ़े धीरेंद्र कृष्ण भी पिता की तरह सत्यनारायण की कथा सुनाने लगे। धीरेंद्र अपनी एक कथा में अपनी गरीबी का हाल सुनाते हैं कि एक समय वृंदावन जाने के लिए उन्होंने पिता से हजार रुपए मांगे थे, जो पिताजी नहीं जुटा पाए थे। कभी वृंदावन नहीं जा पाने वाला संत आज विदेशों में कथा कर रहा है। 14 जून 2022 को उन्हें लंदन की संसद में 3 अवॉर्ड संत शिरोमणि, वर्ल्ड बुक ऑफ लंदन और वर्ल्ड बुक ऑफ यूरोप से सम्मानित किया गया।

पिछले 2 साल के भीतर धीरेंद्र को खूब प्रसिद्धि मिली। यहां तक कि उन्होंने लंदन में भी कथा कही।

पिछले 2 साल के भीतर धीरेंद्र को खूब प्रसिद्धि मिली। यहां तक कि उन्होंने लंदन में भी कथा कही।

दादाजी भी मन की बात बताते थे, पोता भी यही करता है
धीरेंद्र शास्त्री सत्यनारायण कथा के साथ रामकथा भी सुनाने लगे। गांव में हनुमानजी का मंदिर है। इसी बालाजी मंदिर में उनके दादाजी भगवानदास गर्ग की समाधि है। कहते हैं कि उनके दादाजी सिद्ध पुरुष थे। वे हर मंगलवार और शनिवार को इस मंदिर में दिव्य दरबार लगाते थे और लोगों की मन की बात जान लेते थे। उस समय भी लोग इसी तरह से अर्जी लगाते थे। खुद धीरेंद्र शास्त्री भी 9 वर्ष की उम्र में दादाजी के साथ इस मंदिर में जाया करते थे। उनसे ही रामकथा सीखी। वे अपने दादाजी को अपना गुरु मानते हैं।

दावा करते हैं कि बालाजी ने उन्हें साक्षात दर्शन दिया है। दादाजी की तरह वे भी हर मंगलवार व शनिवार को दिव्य दरबार लगाने लगे। इस दिव्य दरबार में लोग अर्जी लगाने लगे। लोगों की मन की बात को 3 सवाल और उनका हल एक पन्ने पर लिखने लगे। उनके इस दिव्य दरबार का प्रसारण सोशल मीडिया के हर प्लेटफॉर्म पर होने लगा। इससे उनके दरबार में आने वालों की भीड़ कई गुना हो गई।

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 12वीं तक की पढ़ाई की है। वे अपने दादा को ही अपना गुरु मानते हैं। उनसे ही धीरेंद्र ने कथा और शास्त्र सीखा है। आगे की कहानी नीचे पढ़ें...

धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 12वीं तक की पढ़ाई की है। वे अपने दादा को ही अपना गुरु मानते हैं। उनसे ही धीरेंद्र ने कथा और शास्त्र सीखा है। आगे की कहानी नीचे पढ़ें…

दादा चंदेलकालीन बालाजी मंदिर के पीठाधीश्वर थे
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने 8वीं तक की पढ़ाई गांव में की। इसके बाद वे चाचा के पास गंज चले गए। आगे 12वीं तक की पढ़ाई वहीं से पूरी की। कई बार गांव से 5 किमी पैदल चलकर गंज स्कूल पढ़ने जाया करते थे। गढ़ा गांव में ही चंदेलकालीन बालाजी का प्राचीन मंदिर है। इसकी प्रसिद्धि अब बागेश्वर धाम के तौर पर है।

इस मंदिर के पीठाधीश्वर रहे अपने दादा एवं गुरु भगवानदास से धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने शास्त्रों का अध्ययन किया और कथा कहना सीखा था। भगवानदास चित्रकूट के निर्मोही अखाड़े से जुड़े हुए थे। दावा करते हैं कि वे 9 साल की उम्र से ही बागेश्वर धाम सरकार की सेवा करने लगे थे। अपने दादा के साथ नियमित रूप से मंदिर भी जाया करते थे |

अब समझिए, कैसे अर्जी लगती है
बागेश्वर धाम में नारियल वो लोग बांधते हैं, जिनको अपनी अर्जी बालाजी महाराज के समक्ष लगानी होती है। बागेश्वर धाम में ओम बागेश्वराय नमः मंत्र का जाप करते हुए लाल कपड़े में लिपटे नारियल को बांधना होता है। दिव्य दरबार का हिस्सा होने के लिए बागेश्वर धाम से टोकन लेना पड़ता है। इस टोकन वाले को पर्चे में अपना नाम, मोबाइल नंबर और पता लिखकर बागेश्वर धाम में जमा करना होता है।

टोकन जमा होने के बाद दिव्य दरबार के आयोजन की तारीख बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सोशल मीडिया पर देते हैं। दिव्य दरबार से पहले एक लिस्ट जारी होती है। ऐसे लोगों को मोबाइल नंबर के जरिए सूचित किया जाता है। दिव्य दरबार में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री द्वारा लोगों के मन में उठने वाले प्रश्नों को और उनकी समस्याओं को बिना बताए ही एक पर्ची पर लिख दिया जाता है। उनकी यही सिद्धि है, जिससे उन्होंने प्रसिद्धि पाई है। बालाजी महाराज की कृपा पाने के लिए बागेश्वर धाम की पेशी करना अनिवार्य है।

शादी को लेकर कभी जया किशोरी का उछला था नाम
धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अविवाहित हैं। कथा के दौरान वे कह चुके हैं कि वे शादी करेंगे। ये उनकी माता का आदेश है। माता के आदेश का पालन करने के लिए शादी जरूर करेंगे। हालांकि, कब करेंगे और किससे करेंगे, इसके बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं है। एक समय उनका नाम कथावाचक जया किशोरी के साथ लोगों ने जोड़ना शुरू कर दिया था। इस बात का खुद जया किशोरी ने खंडन किया था।

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बागेश्वर धाम में भगदड़, महिला की मौत, 5 लोग घायल

भिंड के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल दंदरौआ धाम में मंगलवार को भगदड़ मच गई, जिसमें एक महिला श्रद्धालु की मौत हो गई। साथ ही 5 श्रद्धालु भी घायल हो गए। महिला परिवार के साथ बागेश्वर धाम के महंत धीरेंद्र शास्त्री की कथा सुनने आई थी। हादसे के बाद दंदरौआ धाम के आसपास का मोबाइल नेटवर्क बंद कर दिया गया।

हादसा भिंड के डॉक्टर हनुमान मंदिर पर आयोजित सियपिय मिलन समारोह के दौरान हुआ। जिसका आयोजन दंदरौआ धाम पर पिछले कुछ दिन से चल रहा है। जिसके तहत सोमवार से बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री की कथा हो रही है।

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