अनन्त फलदाई है मौनी अमावस्या में स्नान दान – कल्याणी शर्मा

अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
प्रयागराज – माघ मकरगत रवि जब होई ।
तीरथ पतिहिं आव सब कोई ।।
देव दनुज नर किन्नर श्रेणी ।
सादर मज्जहिं सकल त्रिवेणी ।।
हिन्दू धर्म शास्त्रों में माघ मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या का धार्मिक दृष्टि से काफी महत्व है। पौराणिक धर्मग्रंथों और धार्मिक कथाओं में ऐसा वर्णन मिलता है कि देवता भी इस दिन धरती पर आकर गंगा , यमुना और सरस्वती के संगम में डुबकी लगाते हैं। इसलिये इस दिन संगम में डुबकी लगाना बड़े सौभाग्य की बात मानी जाती है। यह अमावस्या माघ मास में आती है इसलिये इसे माघी अमावस्या भी कहा जाता है। इस वर्ष का मौनी अमावस्या आज पड़ रही है। इस दिन व्रती को मौन धारण करते हुये दिन भर मुनियों सा आचरण करना पड़ता है इस कारण यह अमावस्या मौनी अमावस्या कहलाती है।
इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुये विश्व के सबसे बड़े गो सेवार्थ संगठन कामधेनु सेना के छत्तीसगढ़ प्रदेश मीडिया प्रभारी कल्याणी शर्मा ने अरविन्द तिवारी को बताया एक किवदंती के अनुसार इस दिन मनु ऋषि का जन्म हुआ था और मनु शब्द से ही मौनी की उत्पत्ति हुई इसलिये इस अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं। मुनिजन इस दिन स्नान पूजन के पहले किसी से कोई बात नही करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पवित्र नदियों में स्नान से विशेष पुण्य लाभ प्राप्त होता है। माना जाता है कि इस दिन गंगा का जल अमृत बन जाता है। माघ स्नान के लिये माघी अमावस्या यानि मौनी अमावस्या को बहुत ही खास माना गया है।
मौनी अमावस्या का महत्व –
धार्मिक दृष्टि से मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व है। लेकिन जो लोग नदी , सरोवर में स्नान नहीं कर पाते हैं वह अपने घर में भी स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों का ध्यान करते हुये स्नान करें तो उन्हें भी पुण्य की प्राप्ति होती है। लेकिन इस बात का खास ध्यान रखें कि मौनी अमावस्या को सूर्योदय से पूर्व ही बिना किसी से कुछ बोले स्नान करना चाहिये। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है। इस दिन पितृगण पितृलोक से संगम में स्नान करने आते हैं और देवतागण भी आते हैं। इस तरह आज के दिन देवताओं और पितरों का संगम होता है। मौनी अमावस्या पर किया गया दान-पुण्य का फल सतयुग के ताप के बराबर मिलता है। कहा जाता है कि इस दिन गंगा का जल अमृत की तरह हो जाता है। इस दिन प्रात: स्नान करने के बाद भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करनी चाहिये। माघ मास में सूर्योदय से पूर्व किया गया स्नान श्री हरि को पाने का सुगम मार्ग है। और इसमें भी मौनी अमावस्या को किया गया गंगा स्नान अद्भुत पुण्य प्रदान करता है। मौनी अमावस्या के दिन स्नान के बाद तिल , तिल का तेल , तिल की लड्डू , आँवला , अंजन , दर्पण , सूखी लकड़ी, कंबल, गरम वस्त्र, काले कपड़े, जूता , स्वर्ण , दूध देनेवाली सवत्सा गाय दान करने का विशेष महत्व है। वहीं जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा नीच का है, उन्हें दूध, चावल, खीर, मिश्री, बताशा दान करने में विशेष फल की प्राप्ति होगी। आज के दिन चीटियों को शक्कर मिला आटा खिलाना चाहिये। मछलियों को आटे की गोली खिलानी चाहिये। गाय को तिल से बनी रोटी और दही चाँवल खिलाना चाहिये। शिव पार्वती को खीर का भोग लगाना चाहिये। कालसर्प दोष से मुक्ति हेतु चाँदी के नाग नागिन के जोड़े की पूजा करने के बाद उसे नदी में प्रवाहित किया गया। आज के दिन क्रोध ना करें , किसी को अपशब्द ना कहें। बल्कि मौन रहकर ईश्वर का ध्यान करें। पीपल और तुलसी की पूजा कर 108 परिक्रमा करें।